15 Dec 2014

मुस्कानों के राज़ न खुलते  ,
बस मुस्कानें झलकाए जाते हैं  ...
इस अंदाज़-ई-मुस्कान का ,
कई अनदेखे रंग साथ निभाते हैं  …

17 Nov 2014

एक उम्मीद रखी जो तूने अपने सिरहाने ,
ख़्वाबों को मुस्कुराने की वजह मिल गई  … 
चंद लम्हात की मोहलत जो बख़्शी ,
हौले-हौले फरमाये नयी सहर के पैग़ाम कई  …
क़ायम है रुतबा , ज़र्रा-दर-ज़र्रा ,
अब भी तेरी मुस्कान का …
क़ायल है आज भी , एक-एक अल्फ़ाज़  ,
तेरी कही हर ज़ुबान का …

1 Aug 2014

तेरे बेशक़ीमती अल्फ़ाज़ों को , हुनर की नहीं ,
अब तलाश है पहचान की …
उभरते हुए लव्ज़ों की न कर फ़िक्र ,
यह आवाज़ है परस्तिश-ए-एहसान की …


28 Jul 2014

गुज़रते हुए छिन्न-भिन्न लम्हों को ,
बीती हुई यादों की कब थी परवाह ....
बिखरे हुए मोतियों को जो मिल जाए ,
माला में पिरो जाने की वजह  …
जी ले ज़रा इत्मीनान से ,
कि सांसें तेरी, अभी बाकी हैं  …
इक अरमान रह गया जो दिल में ,
कि बदलने की चाह, अभी बाकी है  …
कश-म-कश जो बढ़ती जाए ज़िंदगी की ,
न होने दे ख़्वाबों को ज़ार-ज़ार  …
कि हौंसलों को रख बुलंद ,
बख़्शेगी हर तालीम , बरक़त बेशुमार  …



19 May 2014

यूँ तो मुस्कुराने की वजह ढूंढते हैं लोग ,
हम तो बेवजह ही मुस्कुरा लेते हैं  …
मिले जो कुछ पयाम राहों के ,
बिना मंज़िल के ही जी लेते हैं  ...
समझदारी औरों की नहीं ,
अपनी समझ में ढूंढते हैं  …
आधी-अधूरी सी समझ से ,
हर वक़्त जूझते हैं  …
 
अब तो रंगों के मिज़ाज भी बदल गए ,
पुरानी हुई दास्ताँ जो कल थी सुनाई  … 
पलों की गिरह में आज को बांधे हुए  ,
ख़ाँ -म-खाँ ही कुछ खोए  हुए लम्हों को तस्सव्वुर छुए  …

11 Apr 2014

कुछ शब्दों से हो जाए ,
जो बयान ये ज़िन्दगी  ....
यादों को समेटने की ताक़ में ,
न गुज़रते ये लम्हे  …

पैरवी तो की अल्फ़ाज़ों ने ,
न की वकालत वक़्त ने  …
चले जो इन बिखरे मोतियों को ,
होकर बेपरवाह, बेवजह ही संजोने  ...

10 Apr 2014

तेरे अक़्स से ही होता ,
तेरा अंदाज़-ई-अहमियत बयां  ,
तेरे वजूद की तदबीर ,
यूं बेवजह नहीं देती कोई निशाँ ..

5 Feb 2014

एक अरसे को कुछ पलों में जो पिरोया ,
क्या तूने इनमें कुछ है पाया, कुछ खोया  …
पैरवी कर इन बेशकीमती लम्हों की ,
एक नहीं , कई यादों को संजोया  ...

Followers

Blog Archive