25 Feb 2012

है तेरी पहुँच मुझसे ऊंची, तो क्या ,
है झुकना तुझे भी , है झुकना मुझे भी ...
है रफ़्तार तेरी मुझसे ज़्यादा , तो क्या ...
 है थमना तुझे भी , है थमना मुझे भी ...

है अलग पहचान तेरी मुझसे अलग , तो क्या ,
है उम्मीद तुझमें भी , है उम्मीद मुझमें भी ...
है मुस्कान तेरी मुझसे भी बड़ी , तो क्या ,
है लगता खुश तू भी , हूँ खुश मैं भी ... 
क्यूँ आज मायूस है चाँद भी ,
कहाँ उसकी हुई मुस्कान ग़ुम है ...
कि आज जो हुई जो तेरी आँखें नम ,
क्यूँ आज है तू गुमसुम ...

न ही रखी किसी से रंजिश ,
न किसी से कोई तेरा बैर ...
हो जाएँ नाराज़ जो कुछ लम्हें ,
न समझना इन्हें ग़ैर ...

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