गुज़रते हुए छिन्न-भिन्न लम्हों को ,
बीती हुई यादों की कब थी परवाह ....
बिखरे हुए मोतियों को जो मिल जाए ,
माला में पिरो जाने की वजह …
जी ले ज़रा इत्मीनान से ,
कि सांसें तेरी, अभी बाकी हैं …
इक अरमान रह गया जो दिल में ,
कि बदलने की चाह, अभी बाकी है …
कश-म-कश जो बढ़ती जाए ज़िंदगी की ,
न होने दे ख़्वाबों को ज़ार-ज़ार …
कि हौंसलों को रख बुलंद ,
बख़्शेगी हर तालीम , बरक़त बेशुमार …
बीती हुई यादों की कब थी परवाह ....
बिखरे हुए मोतियों को जो मिल जाए ,
माला में पिरो जाने की वजह …
जी ले ज़रा इत्मीनान से ,
कि सांसें तेरी, अभी बाकी हैं …
इक अरमान रह गया जो दिल में ,
कि बदलने की चाह, अभी बाकी है …
कश-म-कश जो बढ़ती जाए ज़िंदगी की ,
न होने दे ख़्वाबों को ज़ार-ज़ार …
कि हौंसलों को रख बुलंद ,
बख़्शेगी हर तालीम , बरक़त बेशुमार …
No comments:
Post a Comment