बड़े- बड़े ख़्वाबों को मन में समेटे हुए,
मंज़िल की ओर चल दिए...
मंज़िल की ओर चल दिए...
थोड़ा थम जाओ, थोड़ा ठहर जाओ,
कल एक नए दिन का नया सवेरा होगा
अभी तो कुछ ही हैं, फासले तय किये|
कल एक नए दिन का नया सवेरा होगा
कहीं न कहीं तो अपना बसेरा होगा...
फिर रास्ता तो हम खोज ही लेंगे,
पहले कुछ ख्वाहिश तो बाँध देंगे |
वक़्त न दिया ज़िन्दगी ने,
कि कुछ थम जाऊं, ठहर जाऊं,
पाबंदियों के इन घेरों से,
कुछ तो आगे बढ़ पाऊँ ||
पहले कुछ ख्वाहिश तो बाँध देंगे |
वक़्त न दिया ज़िन्दगी ने,
कि कुछ थम जाऊं, ठहर जाऊं,
पाबंदियों के इन घेरों से,
कुछ तो आगे बढ़ पाऊँ ||