15 Aug 2009

किन बुलंदियों की फिराक़ में,
निकला है तेरा कारवाँ,
कि कुछ दूर पहुंचे,
और सोचा मिल गया तुझे मुकाम
या अब भी फिरदौस की तमन्ना लिए,
खड़ा है तू वहाँ,
कर ले थोड़ी और मशक्क़त ,
क्या पता, मिल जाए तुझे जहाँ

Followers

Blog Archive