एक उम्मीद रखी जो तूने अपने सिरहाने ,
ख़्वाबों को मुस्कुराने की वजह मिल गई …
चंद लम्हात की मोहलत जो बख़्शी ,
हौले-हौले फरमाये नयी सहर के पैग़ाम कई …
Kuchh Ehsaas Hai, Kuchh Aas Hai ... Ye Shabd Kehte Wahi , Jis Soch Ka Kiya Maine Aabhaas Hai...
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