22 Oct 2010

अरे पंखो को मत कर अनदेखा ,
के पंखों की ही ,
हौंसलों को करने की बुलंद ,
एक अलग पहचान है ,
उड़ान भरते हुए ,
ग़र थम जाए कहीं तू ,
पंखों के आशियाने में ,
उड़ान भरनी आसान है
हर दौर से गुजरने की
तमन्ना लिए जो बड़ा ,
मैं तो आप ही ,
अपनी ख्वाहिश से लड़ा

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