19 May 2014

अब तो रंगों के मिज़ाज भी बदल गए ,
पुरानी हुई दास्ताँ जो कल थी सुनाई  … 
पलों की गिरह में आज को बांधे हुए  ,
ख़ाँ -म-खाँ ही कुछ खोए  हुए लम्हों को तस्सव्वुर छुए  …

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