अब तो रंगों के मिज़ाज भी बदल गए ,
पुरानी हुई दास्ताँ जो कल थी सुनाई …
पुरानी हुई दास्ताँ जो कल थी सुनाई …
पलों की गिरह में आज को बांधे हुए ,
ख़ाँ -म-खाँ ही कुछ खोए हुए लम्हों को तस्सव्वुर छुए …
Kuchh Ehsaas Hai, Kuchh Aas Hai ... Ye Shabd Kehte Wahi , Jis Soch Ka Kiya Maine Aabhaas Hai...
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