क़ायम है रुतबा , ज़र्रा-दर-ज़र्रा ,
अब भी तेरी मुस्कान का …
क़ायल है आज भी , एक-एक अल्फ़ाज़ ,
तेरी कही हर ज़ुबान का …
अब भी तेरी मुस्कान का …
क़ायल है आज भी , एक-एक अल्फ़ाज़ ,
तेरी कही हर ज़ुबान का …
Kuchh Ehsaas Hai, Kuchh Aas Hai ... Ye Shabd Kehte Wahi , Jis Soch Ka Kiya Maine Aabhaas Hai...
No comments:
Post a Comment