17 Nov 2014

एक उम्मीद रखी जो तूने अपने सिरहाने ,
ख़्वाबों को मुस्कुराने की वजह मिल गई  … 
चंद लम्हात की मोहलत जो बख़्शी ,
हौले-हौले फरमाये नयी सहर के पैग़ाम कई  …
क़ायम है रुतबा , ज़र्रा-दर-ज़र्रा ,
अब भी तेरी मुस्कान का …
क़ायल है आज भी , एक-एक अल्फ़ाज़  ,
तेरी कही हर ज़ुबान का …

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