1 Aug 2014

तेरे बेशक़ीमती अल्फ़ाज़ों को , हुनर की नहीं ,
अब तलाश है पहचान की …
उभरते हुए लव्ज़ों की न कर फ़िक्र ,
यह आवाज़ है परस्तिश-ए-एहसान की …


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