4 Jul 2009

नन्हीं सी मुस्कान

तुझमें ऐसा क्या है,
तुझे देख मुस्कुराये हर चेहरा |
तेरी मासूमियत में, तेरे भोलेपन में,
है राज़ छुपा, कोई गहरा ||
एक नन्हीं सी मुस्कान,
जो हर एक को भाये|
होंठों पर हँसी की आहट,
मन में उमंग लाये||
तेरी किलकारियों से गूंजे,
हर घर का आँगन|
तेरे चेहरे का नूर,
कितना पावन, कितना मन भावन||
बस तेरी मुस्कान की होती,
पल-पल फ़रमाइश ,
एक नन्ही सी जान है तू,
कुदरत की बेहतरीन ख्वाहिश  ||

28 Jun 2009

आज़ादी

पूछो, उन
उड़ते पंछियों से,
आज़ादी क्या है |
जानो , उन लहलहाते पेड़ों से,
आज़ादी क्या है ||

आज़ादी, एक बंदिश से छूटने की |
आज़ादी, गर्दिश में किसी तारे के टूटने की |
आज़ादी, उस असीमित आसमां को छूने की |
आज़ादी, हर उमंग में शामिल होने की ||

पूछो, उस बहती हुई, मनचली नदी से,
आज़ादी क्या है |
जानो , उस दहकती, भभकती आग से,
आज़ादी क्या है ||

आज़ादी, सागर की गहरायी में समाने की |
आज़ादी, हर धारा में बह जाने की |
आज़ादी, हर रंग में घुल जाने की |
आज़ादी, कदम से कदम मिलाने की ||

पूछो, समुन्द्र में उठते उफानों से,
आज़ादी क्या है |
जानो , बेवक्त आए बवंडरों और तूफानों से,
आज़ादी क्या है ||

आज़ादी, हर कण में बसने की |
आज़ादी, हर ग़म में हंसने की |
आज़ादी, हर हार में जीतने की |
आज़ादी, भीड़ में पहचान पाने की ||

ग़म हो या खुशी
ग़र हो ग़म किसी लम्हे में ,
तो खुशी की खोज कर |
मत खो तू इन पलों को,
यूँ उदास हो कर ||

ग़र आया है ग़म ,
तेरे
ही दर पर |
आएगी खुशी भी, न रुकी होगी,
कहीं पर थक कर ||

अभी तो फासले तय करने,
तुझे ग़म के साए में,
खुशी तो दूर है,
इन ग़म के अंधेरों से ||

ग़र आए जो खुशी,
तेरे झरोखे पर |
मत बैठना तू,
यूं मूँ मोड़ कर ||

गयी खुशी तेरे दर से,
जो रूठ कर,
जाने फिर कब आएगी,
वापस पलट कर ||

हैं अगर तेरे इरादे बुलंद,
न जीत पायेंगे,
ये ग़म के फ़साने,
खुशी के फरिश्तों के आगे ||

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