24 Feb 2013

वक़्त न दिया किसी लम्हे ने ,
कि थम जाऊं, ठहर जाऊं ...
इन बेवक्त की पाबंदियों से ,
कैसे राहत पाऊँ ...

कि मौके नहीं मिलते ,
यूं थमने से , ठहरने से ,
मिलेगी कहीं फुरक़त ,
फुर्सत में मुलाक़ात पे ...

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