30 Jun 2013

फिर एक ख्वाहिश बांधे
इंतज़ार में है कुछ निगाहें ...
आगाज़ जो किया तूने एक बार
रख इस जुस्त-जू को बरक़रार ...

कि लम्हें थमे नहीं
ना रुका कोई पल है ...
तू आज में जी ले
कि दूर नहीं अब कल है ...

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