यूँ तो मुस्कुराने की वजह ढूंढते हैं लोग ,
हम तो बेवजह ही मुस्कुरा लेते हैं …
मिले जो कुछ पयाम राहों के ,
बिना मंज़िल के ही जी लेते हैं ...
हम तो बेवजह ही मुस्कुरा लेते हैं …
मिले जो कुछ पयाम राहों के ,
बिना मंज़िल के ही जी लेते हैं ...
Kuchh Ehsaas Hai, Kuchh Aas Hai ... Ye Shabd Kehte Wahi , Jis Soch Ka Kiya Maine Aabhaas Hai...
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