11 Nov 2009

तेरी पहचान ,
न किसी मूरत से है |
तेरी शख्सियत तो ,
तेरी सूरत से है ||
कहे जो भी ज़माना सारा ,
तेरी हसरत बस तेरी ही ज़रूरत से है |

11 Oct 2009

बुलंदी
किन गलियारों से गुज़रता है ,
जिन पर तेरा निशां नहीं पड़ता
बस आफ़ताब की तमन्ना लिए ,
तू यूं ही है खाख ढूंढता


आगे बढ़, उठ चल ,
तेरे लिए पथ और भी हैं
ख़्वाबों को मत बाँध ज़ंजीरों में ,
फासले अभी तय करने और भी हैं

कर लिया जो सफर शुरू ,
तो मुश्किलों का सामना कर
बस यूं ही बड़ा कदम ,
ना मुड़ पीछे मगर

ख़त्म न होगा रास्ता ,
मंज़िल पायेगा न जब तक तू
वक्त न ठहरेगा किसी के लिए ,
कब होगा तू इससे रूबरू


जीत पाने का जज़्बा रख ,
कौन रोक सकेगा तुझे तब
हैं अगर इरादे बुलंद ,
इससे अच्छी होगी शुरुआत कब ...

15 Aug 2009

किन बुलंदियों की फिराक़ में,
निकला है तेरा कारवाँ,
कि कुछ दूर पहुंचे,
और सोचा मिल गया तुझे मुकाम
या अब भी फिरदौस की तमन्ना लिए,
खड़ा है तू वहाँ,
कर ले थोड़ी और मशक्क़त ,
क्या पता, मिल जाए तुझे जहाँ

4 Jul 2009

नन्हीं सी मुस्कान

तुझमें ऐसा क्या है,
तुझे देख मुस्कुराये हर चेहरा |
तेरी मासूमियत में, तेरे भोलेपन में,
है राज़ छुपा, कोई गहरा ||
एक नन्हीं सी मुस्कान,
जो हर एक को भाये|
होंठों पर हँसी की आहट,
मन में उमंग लाये||
तेरी किलकारियों से गूंजे,
हर घर का आँगन|
तेरे चेहरे का नूर,
कितना पावन, कितना मन भावन||
बस तेरी मुस्कान की होती,
पल-पल फ़रमाइश ,
एक नन्ही सी जान है तू,
कुदरत की बेहतरीन ख्वाहिश  ||

28 Jun 2009

आज़ादी

पूछो, उन
उड़ते पंछियों से,
आज़ादी क्या है |
जानो , उन लहलहाते पेड़ों से,
आज़ादी क्या है ||

आज़ादी, एक बंदिश से छूटने की |
आज़ादी, गर्दिश में किसी तारे के टूटने की |
आज़ादी, उस असीमित आसमां को छूने की |
आज़ादी, हर उमंग में शामिल होने की ||

पूछो, उस बहती हुई, मनचली नदी से,
आज़ादी क्या है |
जानो , उस दहकती, भभकती आग से,
आज़ादी क्या है ||

आज़ादी, सागर की गहरायी में समाने की |
आज़ादी, हर धारा में बह जाने की |
आज़ादी, हर रंग में घुल जाने की |
आज़ादी, कदम से कदम मिलाने की ||

पूछो, समुन्द्र में उठते उफानों से,
आज़ादी क्या है |
जानो , बेवक्त आए बवंडरों और तूफानों से,
आज़ादी क्या है ||

आज़ादी, हर कण में बसने की |
आज़ादी, हर ग़म में हंसने की |
आज़ादी, हर हार में जीतने की |
आज़ादी, भीड़ में पहचान पाने की ||

ग़म हो या खुशी
ग़र हो ग़म किसी लम्हे में ,
तो खुशी की खोज कर |
मत खो तू इन पलों को,
यूँ उदास हो कर ||

ग़र आया है ग़म ,
तेरे
ही दर पर |
आएगी खुशी भी, न रुकी होगी,
कहीं पर थक कर ||

अभी तो फासले तय करने,
तुझे ग़म के साए में,
खुशी तो दूर है,
इन ग़म के अंधेरों से ||

ग़र आए जो खुशी,
तेरे झरोखे पर |
मत बैठना तू,
यूं मूँ मोड़ कर ||

गयी खुशी तेरे दर से,
जो रूठ कर,
जाने फिर कब आएगी,
वापस पलट कर ||

हैं अगर तेरे इरादे बुलंद,
न जीत पायेंगे,
ये ग़म के फ़साने,
खुशी के फरिश्तों के आगे ||

Followers

Blog Archive