28 Jun 2009

ग़म हो या खुशी
ग़र हो ग़म किसी लम्हे में ,
तो खुशी की खोज कर |
मत खो तू इन पलों को,
यूँ उदास हो कर ||

ग़र आया है ग़म ,
तेरे
ही दर पर |
आएगी खुशी भी, न रुकी होगी,
कहीं पर थक कर ||

अभी तो फासले तय करने,
तुझे ग़म के साए में,
खुशी तो दूर है,
इन ग़म के अंधेरों से ||

ग़र आए जो खुशी,
तेरे झरोखे पर |
मत बैठना तू,
यूं मूँ मोड़ कर ||

गयी खुशी तेरे दर से,
जो रूठ कर,
जाने फिर कब आएगी,
वापस पलट कर ||

हैं अगर तेरे इरादे बुलंद,
न जीत पायेंगे,
ये ग़म के फ़साने,
खुशी के फरिश्तों के आगे ||

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