जब खुद पर हो यकीन,
तो लगता है ज़िंदा हूं मैं...
किस्मत जब लगाए बैठी हो आस,
तो लगता है ज़िंदा हूं मैं...
आवाम की जब पुकार बन सकूं,
तो लगता है ज़िंदा हूं मैं...
मौक़ा मिले जब हंसने का बेवजह,
तो लगता है ज़िंदा हूं...
खाख़ में मिल जाने का सबब ना मिले,
तो लगता है ज़िंदा हूं मैं...
आराम फरमा रहे लोगों से अलग महसूस होता जब,
तो लगता है ज़िंदा हूं मैं...
तो लगता है ज़िंदा हूं मैं...
किस्मत जब लगाए बैठी हो आस,
तो लगता है ज़िंदा हूं मैं...
आवाम की जब पुकार बन सकूं,
तो लगता है ज़िंदा हूं मैं...
मौक़ा मिले जब हंसने का बेवजह,
तो लगता है ज़िंदा हूं...
खाख़ में मिल जाने का सबब ना मिले,
तो लगता है ज़िंदा हूं मैं...
आराम फरमा रहे लोगों से अलग महसूस होता जब,
तो लगता है ज़िंदा हूं मैं...
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ReplyDeleteWah...👌
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