नूर-ए-इबादत भी फ़ीकी पढ़ जायेगी ,
तेरी तबस्सुम-ए-झलक जब उसे मिल जाएगी …
तू औरों के ऐतबार को जो तवज्जो दे ,
तेरी ही पहचान , तेरे करीब, तुझे पल-पल लाएगी …
बस खुद को तू यूं ही बनाये रखना ,
कि तेरे साथ ही तुझे दुनिया नज़र आएगी …
फ़र्क सिर्फ इतना होगा , कि भीड़ में ,
तेरी शक़्सियत, तेरे सफ़ीनों को तुझसे मिलाएगी …
तेरी तबस्सुम-ए-झलक जब उसे मिल जाएगी …
तू औरों के ऐतबार को जो तवज्जो दे ,
तेरी ही पहचान , तेरे करीब, तुझे पल-पल लाएगी …
बस खुद को तू यूं ही बनाये रखना ,
कि तेरे साथ ही तुझे दुनिया नज़र आएगी …
फ़र्क सिर्फ इतना होगा , कि भीड़ में ,
तेरी शक़्सियत, तेरे सफ़ीनों को तुझसे मिलाएगी …
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