5 Dec 2013

जो मिल जाती वजह , खुद को पाने की ,
एहसास न होता , यूं गुमशुदगी का  …
पहचान जो कोई बना लेते , अपने लिए ,
न होता जुनूं , न इल्म किसी तिश्नगी का  ...

22 Oct 2013

तेरी मासूम सी नटखट मुस्कान में ,
एक ज़िन्दगी जीने का एहसास है  …
हर पल जैसे तेरी मुस्कान में ,
छिपी हुई उस मासूमियत की तलाश है  …

कह कर न कर सका बयान ,
जो तेरे इस नटखटपन को ,
कुछ अल्फाजों की गुंजाईश बनी  …
एक झलक जो मिल जाए ,
तेरी इस मासूमियत की ,
उभर आये जीने की ख्वाहिश हर कहीं  …

7 Oct 2013

तेरे शब्दों के एहसास में ,
बाकी रह गयी गुंजाईश अब भी कहीं  ...
कि हो न हो , रह गयी
हसरत कोई , हुई पूरी अब भी नहीं  …

कोई नयी आरज़ू , तेरे ज़हन में ,
दे रही दस्तक , घड़ी-दो-घड़ी  …
जी ले ज़रा इत्मीनान से ,
क्यूँ है इतनी जल्दी पड़ी  ...

30 Jun 2013

फिर एक ख्वाहिश बांधे
इंतज़ार में है कुछ निगाहें ...
आगाज़ जो किया तूने एक बार
रख इस जुस्त-जू को बरक़रार ...

कि लम्हें थमे नहीं
ना रुका कोई पल है ...
तू आज में जी ले
कि दूर नहीं अब कल है ...

4 Jun 2013

हो शान तेरी मुझसे ऊंची , तो क्या ,
है भीड़ में धीमे होना मुझे भी, है धीमे होना तुझे भी …
हो रफ़्तार तेरी मुझसे तेज़ , तो क्या ,
है रुकावट पर रुकना मुझे भी, है रुकना तुझे भी …
हो पहचान तेरी मुझसे अलग , तो क्या ,
है लाखों में नाम मिला मुझे भी, है नाम मिला तुझे भी …
हो जुनूं तुझमें कुछ कर दिखाने का , तो क्या ,
है जज़्बा जीत का मुझमें जो, वही तुझमें भी ...

24 Feb 2013

वक़्त न दिया किसी लम्हे ने ,
कि थम जाऊं, ठहर जाऊं ...
इन बेवक्त की पाबंदियों से ,
कैसे राहत पाऊँ ...

कि मौके नहीं मिलते ,
यूं थमने से , ठहरने से ,
मिलेगी कहीं फुरक़त ,
फुर्सत में मुलाक़ात पे ...

31 Jan 2013

कुछ रंजिशें हुईं  क़दमों को, मेरी आहटों से ...
कुछ इस क़दर हुईं नावाक़िफ़ हसरतें , मेरी चाहतों से ...
कि मायूस हुआ मन, हुआ कुछ खफ़ा , कुछ बेदुरूस्त भी ...
कि मिला नहीं उसे,  कोई ग़म-ए-फ़ुर्सत भी ...
फिर आस लगाए बैठा, कब होगी किस्मत से दूर ये नाराज़गी ...
हो न हो, बाक़ी है तक़दीर में पाना बहुत कुछ अभी ...

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