11 Aug 2012

बस कुछ पाने की चाहत में  ,
मैं  बेलगाम ही कुछ थम कर , 
कुछ ठहर कर , बढ़ रहा हूँ   ...
आरज़ू  भी है , कुछ हसरत भी है ...
लगे मुझे अभी कुछ और जीने की ज़रुरत भी ...

बहुत दूर जाने की सोची है  ,
पर राह भटक गया हूँ ,
मिलते नहीं किसी भी मोड़ पर मंज़र ,
जिनका पलपल कर रहा मैं इंतज़ार यूं ...

No comments:

Post a Comment

Followers

Blog Archive