बस कुछ पाने की चाहत में ,
मैं बेलगाम ही कुछ थम कर ,
कुछ ठहर कर , बढ़ रहा हूँ ...
आरज़ू भी है , कुछ हसरत भी है ...
लगे मुझे अभी कुछ और जीने की ज़रुरत भी ...बहुत दूर जाने की सोची है ,
पर राह भटक गया हूँ ,
मिलते नहीं किसी भी मोड़ पर मंज़र ,
जिनका पलपल कर रहा मैं इंतज़ार यूं ...
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