पड़ गयी धुंधली ,
वाकिफ़ नहीं तमन्नाएं मेरी ,
मेरी ही हसरतों से ,
कि नावाकिफ़ हुई मेरी ही आशाएं ,
मेरी चाहतों से |
मानो रंजिशें हुईं , क़दमों को मेरी आहटों से ...
Kuchh Ehsaas Hai, Kuchh Aas Hai ... Ye Shabd Kehte Wahi , Jis Soch Ka Kiya Maine Aabhaas Hai...
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