परिंदों के परों की अहमियत ,
उस उन्मुक्त आसमान में ही है ...
क्या पायेगा तू ज़मीन पर चल कर ,
जब तेरी उड़ान आसान नभ में ही है ...
उस उन्मुक्त आसमान में ही है ...
क्या पायेगा तू ज़मीन पर चल कर ,
जब तेरी उड़ान आसान नभ में ही है ...
Kuchh Ehsaas Hai, Kuchh Aas Hai ... Ye Shabd Kehte Wahi , Jis Soch Ka Kiya Maine Aabhaas Hai...
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