30 Dec 2011

परिंदों के परों की अहमियत ,
उस उन्मुक्त आसमान में ही है ...
क्या पायेगा तू ज़मीन पर चल कर ,
जब तेरी उड़ान आसान नभ में ही है ...

22 Oct 2011

इस सादगी भरी मुस्कान में ,
तेरी मासूमियत से परे कुछ नहीं ,
बस दुआ है तेरी ये मुस्कान ,
बिखरती रहे हर कहीं ...


कुछ अच्छा लगे , उसे बयां करने का ,
ये तो बस एक अंदाज़ है ...
बस अब तो देखते जाओ ,
अभी तो इसका किया केवल आग़ाज़ है ...

9 Oct 2011

एक नन्ही सी परछाई तेरी ,
है नैनों में इसके उमंग भरी |
हमेशा यूं ही मुस्कुराती रहे , हर पल ,
यही है ऊपर-वाले से फ़रियाद मेरी ||

29 Sept 2011


बूंदों के मलहार में ,
तू यूं ही गाए जा ...
बाँट ली , जो बिखरी हुयी , थोड़ी-सी ख़ुशी ,
यूं ही मन-ही-मन गुनगुनाये जा ...
लहर इन बूंदों की ,
तेरे इर्द-गिर्द जो पड़ती रहे ,
तू यूं ही , गहराती हुई ,
हल्की सी मुस्कान में , समाये जा ...

22 Aug 2011

ग़म को क्या छुपाना ,
तेरी हर हंसी , उसकी कर्ज़दार है...
कुछ पल उसके भी नाम कर दो ,
यही हर लम्हें की पुकार है ...

13 Jun 2011

तेरे सुरों के आग़ाज़ ने ,
मेरे लव्जों को अंजाम दिया ,
कुछ बिखरे हुए अनमोल मोतियों को ,
समेट कर, एक नग़में का नाम दिया ...


जो न कह सका लव्जों से ,
तेरे सुरों ने बयान कर दिया ,
इन बेसबब उभरे लव्जों में ,
एक अनजाना सा पैग़ाम भर दिया ...

2 Jun 2011

क्यों आज बादल भी हुए गुमराह ,
न ही बरसते हैं , न ही छंटते हैं ...
बेवजह ही बिखरे हुए ,
नीली चादर में सिमटते हैं ...

23 May 2011

कोई बंदिश है तेरी इस मुस्कान में ,
जिसने आती हुई तेरी हंसी को, रोका है ...
ऐसा लगे , जैसे नम हैं आँखें तेरी ,
जिसने बढ़ती हुई तेरी मुस्कान को , टोका है ...

21 May 2011

न ही अच्छे वक़्त से हुए महरूम ,
न ही बुरे लम्हों को है जाना ...
मैंने तो बस हर पल को ,
बीती हुई परछाईयों से है पहचाना ...

10 May 2011

तेरे नाम में क्या रखा है ,
तेरी पहचान तेरी शक्सियत से होगी ।
करने वाले काम में क्या रखा है ,
तेरा उस काम को करने की काबिलियत में होगी ...

14 Feb 2011

सिमटे हैं कुछ रिश्ते लकीरों में ,

और कुछ सिमटे तकदीरों में ,

बांटे हों कुछ अरमान जैसे अमीरों ने ,

समेटे जिनमें से कुछ , फुर्सत में, फ़क़ीरों ने ...

ऐसा लगा, ज़र्रा-ज़र्रा काँप उठा ,

तेरी इस ख़ामोशी से ,

उभर आता है जैसे लहू ,

किसी की सरफरोशी से ...

कुदरत की फितरत से परे ,
न कोई जीया है , न जीएगा ,
बस उसी की रहमत से ,
तेरी तकदीर का फलसफा बना है, और बनेगा ...

7 Feb 2011

तू आज खुल कर मुस्कुरा ले ,
न हो किसी पाबन्दी से, तेरा तारुफ़ ,
तू आज खुल कर हँस ले ,
न हो किसी मुश्किल से, तू वाकिफ
तू आज खुल कर जश्न मना ले ,
हर ख़ुशी से हो, तेरी सिफ़ारिश ,
तू आज खुल कर जी ले ,
हो पूरी हर मुराद, जिसकी की तूने गुज़ारिश ।। ...

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