29 Sept 2011


बूंदों के मलहार में ,
तू यूं ही गाए जा ...
बाँट ली , जो बिखरी हुयी , थोड़ी-सी ख़ुशी ,
यूं ही मन-ही-मन गुनगुनाये जा ...
लहर इन बूंदों की ,
तेरे इर्द-गिर्द जो पड़ती रहे ,
तू यूं ही , गहराती हुई ,
हल्की सी मुस्कान में , समाये जा ...

No comments:

Post a Comment

Followers

Blog Archive