17 Sept 2016

जीने का जुनून जब ज़हन में फितूर बन कर ज़िंदा हो,
तो हर सबब जीने का एक क़ायदा है,
फिक्र तो बस इस ख्याल को तवज्जो देती,
कि बेमुर्रवत जीना ही क्यों नहीं लम्हा-दर-लम्हा गंवारा है.....

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