15 Oct 2010




है कोई उम्मीद अगर बाकी ,
तो उस उम्मीद पे जी ले ,
वरना कुछ ऐसा कर
के तू अपनी हर जीत में जी ले


ख़ामोश हो जाएँ ,
उठती हुई निगाहें ,
जब ज़िन्दगी खोल दे ,
तेरे लिए अपनी बाहें ...


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